26 जनवरी: गणतंत्र दिवस पर भाषण
सुप्रभात!
आदरणीय प्राचार्य महोदय, माननीय शिक्षकगण, मेरे सहपाठी और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।
आज हम सभी यहाँ पर एक बहुत ही खास अवसर, गणतंत्र दिवस, को मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है क्योंकि इसी दिन, 26 जनवरी 1950 को, हमारा देश संविधान को अपनाकर एक गणराज्य बना।
गणतंत्र दिवस का महत्व
गणतंत्र दिवस केवल एक तारीख नहीं है। यह दिन हमारे देश के संविधान के लागू होने का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भारत अब केवल एक स्वतंत्र देश ही नहीं बल्कि एक लोकतांत्रिक और संप्रभु गणराज्य भी है। हमारे देश का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, और यह हमें समानता, स्वतंत्रता और न्याय की भावना देता है।
संविधान निर्माताओं का योगदान
आज का दिन हमें उन महान स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं को याद करने का मौका देता है, जिन्होंने अपने त्याग और संघर्ष से हमारे देश को आज़ाद कराया। डॉ. भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और अन्य नेताओं ने मिलकर हमें एक ऐसा संविधान दिया जो हर नागरिक को समान अधिकार प्रदान करता है।
हमारी जिम्मेदारियां
गणतंत्र दिवस सिर्फ उत्सव मनाने का दिन नहीं है, यह आत्मचिंतन का दिन है। क्या हम अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं?
आज हमें यह सोचना होगा कि हम अपने देश के विकास और एकता में कैसे योगदान दे सकते हैं। हमारे सैनिक हमारी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, किसान अन्न पैदा कर रहे हैं, डॉक्टर जीवन बचा रहे हैं। ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी भूमिका को समझें और अपने कार्य को पूरी निष्ठा से निभाएं।
'आत्मनिर्भर भारत' का सपना
हमारे प्रधानमंत्री जी ने 'आत्मनिर्भर भारत' का नारा दिया है। इसका अर्थ है कि हमें हर क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देनी होगी। अगर हम 'मेक इन इंडिया' को सफल बनाना चाहते हैं, तो हमें अपने हुनर, तकनीक और मेहनत से भारत को आत्मनिर्भर बनाना होगा। जब हर नागरिक इस दिशा में कदम बढ़ाएगा, तभी हमारा देश नई ऊंचाइयों को छू पाएगा।
युवाओं की भूमिका
भारत का भविष्य युवाओं के हाथ में है। आप सभी युवा देश की सबसे बड़ी ताकत हैं। अगर आप मेहनत, ईमानदारी और दृढ़ संकल्प से अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ेंगे, तो भारत दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बन जाएगा।
राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विविधता
हमारा भारत विविधताओं का देश है। यहां हर भाषा, धर्म, संस्कृति और परंपरा का अपना अनोखा महत्व है। हमें इस विविधता को सम्मान देना चाहिए और एकता बनाए रखनी चाहिए। यही हमारी असली ताकत है।
समापन
अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि यह दिन हमें देशभक्ति, एकता और जिम्मेदारी का संदेश देता है। हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने देश की सेवा में हमेशा तत्पर रहेंगे।
आइए, हम सब मिलकर अपने देश को आगे बढ़ाने का वादा करें।
जय हिंद!
धन्यवाद।
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